आयुर्वेद और इतिहास: –
आयुर्वेद एक प्राचीन विज्ञान है। भारत में इसका प्रचलन 5000 वर्षों में है। आयुर्वेद शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है, यह शब्द अयुर (जीवन) और वेद (ज्ञान) से आया है। आयुर्वेद की खोज भारत में हुई और इसका प्रयोग 1000 वर्षों से व्यापक रूप से किया जा रहा है। परन्तु अभी भी आयुर्वेद उपचार को वैकल्पिक चिकित्सा उपचार माना नहीं जाता है।
आयुर्वेद और तीन दोष: –
आयुर्वेद के तीन दोष: – कफ , वात और पित्त
आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर तीन ऊर्जा कार्यों पर वितरित होती है जिसे हम त्रिया दोष या तीन दोष कहते हैं। आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर इसी तीन संस्करण पर बना हुआ है। अगर मानव शरीर के कफ, वात और पित्त संतुलित में रहते हैं तो शरीर स्वस्थ रहता है। आयुर्वेद दर्शन के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों से बना होता है, पृथ्वी, जल , वायु , अग्नि और आकाश। कफ, वात और पित्त इन पांचों के संयोजन से बनता है।
आयुर्वेदिक दवा के लाभ: –
1 ) एक स्वस्थ शरीर के लिए अच्छा और संतुलित आहार बहुत जरूरी होती है। इसके साथ हम परिशिष्ट के तौर पर आयुर्वेद दवा ले सकते हैं , जो न केवल हमारे शरीर को स्वस्थ और संतुलित रखता है बल्कि एक ग्लोइंग त्वचा और मजबूत बाल प्रदान करने में सहयोग प्राप्त करती है।
2) उचित आहार न मिलना, अपच होना , मसालेदार भोजन आदि के कारण हमारे पेट में जलन और सूजन बन जाती है। इसे रोकने और जड़ से खत्म करने के लिए हम आयुर्वेदिक दवा जैसे नीम कैप्सूल्स और अमला कैप्सूल्स ले सकते हैं।
3) आयुर्वेदिक दवा का मुख्य लाभ ये है की इनमे कोई भी हानिकारक तत्व नहीं पाया जाती है। इसे हम सुरक्षित तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
4) आयुर्वेद दवा एक हर्बल उपाय है जिसमे रस शास्त्र शामिल है। रस शास्त्र विभिन्न तरह के सूक्ष्म धातु का मिश्रण है।
5 ) आयुर्वेदिक दवा का उपयोग शरीर को ऊर्जावान रखने के लिए होता है। इसका उपयोग हम कैंसर जैसी बीमारियों में इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए कर सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सफल है आयुर्वेदिक दवाइयाँ: –
आयुर्वेदिक दवा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर है। आयुर्वेदिक दवा कोरोना जैसी बिमारियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सफल रही। गिलोय कैप्सूल्स, कोरोना जैसी महामारी में बहुत उपयोगी रही। ऐसे ही कई और कैप्सूल्स जैसे की अमला कैप्सूल्स, नीम कैप्सूल्स , ब्राह्मी कैप्सूल्स आदि का उपयोग हम कर सकते हैं।